Happy 69th Independence Day
Aayushi Singh (Saintil Public School, Purnea) |
श्रद्धेय प्रधानाचार्य महोदय, शिक्षक गण, आगंतुक अतिथि महोदय एवं मेरे प्यारे साथियों….
आज मैं, आयुषी, वर्ग आठ से स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर चंद शब्दों को प्रस्तुत करने जा रही हूँ |भरा नहीं जो भावों से !
बहती जिसमे रसधार नहीं
वह ह्रदय नहीं पत्थर है
जिसमे स्वदेश का प्यार नहीं!!
स्वतंत्रता दिवस है पावन अवसर , इसका कोई मूल्य नहीं, सदा सर्वदा रहते तत्पर जीवन का व्यामोह नहीं |
१५ अगस्त का दिन हर भारत वासी के लिए एक अद्वितीय और स्मरणीय दिवस है | यह दिवस हमारे लिए किसी त्यौहार से काम नहीं है इस दिन हर भारतवासी सबकुछ भूल कर देश के लिए गर्व का अनुभव करता है| हर भारतवासी में देशभक्ति की भावना उमड़ पड़ती है | हम सब चेहरे पर गर्व और नेत्रों में अश्रु लिए वीर शहीदों को याद करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं | हम उनसे यह प्रेरणा लेते हैं कि समय आने पर हम भी पीछे नहीं हटेंगे और देश के लिए प्राणोत्सर्ग करने से नहीं कतराएंगे|
यदि आज हम सब स्वतंत्र है, चैन की सांस ले रहे हैं तो वो केवल उन वीर शहीदों एवं देशभक्तों की देन है जिसके हेतु हमें सदा उनका कृतज्ञ होना चाहिए| हमे यह याद रखना चाहिए कि १५ अगस्त अर्थात हमारे स्वतंत्रता का दिवस बहुत लम्बे और लगातार संघर्षो का अंतिम परिणाम है इसे प्राप्त करने के लिए हम भारत वासियों को कितनी कुर्बानिया देनी पड़ी थी यह सोचकर आज भी हमारा कलेजा मुह तक आ जाता है | स्वतंत्रता संग्राम का श्रीगणेश झांसी की रानी लक्ष्मी बाई के द्वारा सन १८५७ में हुआ था उस दिन से लेके १९४७ तक अनेक माताओं के गोद के लाल, अनंत पत्नियों के स्वभाग्य सिंदूर, अनंत बहनों के भाई स्वतंत्रता की बलि वेदी पर चढ़कर अमर गति को प्राप्त हो गए| क्रांतिकारियों के घरों में आग लगा दी गई और उनके परिवारों को अनेक अमानवीय यातनाएँ दी गई | उसके बावजूद भी हम भारत वासी रुके नहीं | अपने सीने पर अनेक घात लेकर, अनेक यातनाएँ सह कर भी स्वतंत्रता पाने में सफल हो गए और अंग्रेज़ों को मुँह की खानी पड़ी | १५ अगस्त को अँगरेज़ सदा के लिए भारत छोड़कर चले गए |
अमर शहीदों की कीर्ति का सदा हमे अभिमान रहा |
जिनकी त्याग तपस्या से भारत का अभिमान रहा | |
इतने मुदत्तों के बाद मिली इस स्वतंत्रता को बने रखने के लिए हमें हर संभव प्रयास करना चाहिए | परन्तु यह अत्यंत दुःख का विषय है कि आज के समय में भारत जैसा देश जो अपनी देशभक्ति के लिए प्रसिद्ध है उस देश के लोग स्वतंत्रता का मूल्य भूल रहे हैं हर व्यक्ति अपने स्वार्थ को पूरा करने में लगा है गांधीजी सदा कहते थे कि अगर मुझे याद रखना चाहते हो तो मूर्तियों और किताबों के द्वारा नहीं बल्कि मेरे विचारों के द्वारा याद रखना | मेरे विचारों को अपने जीवन में आजमाँ कर देखना तुम्हे सदा शांति, सफलता और सम्मान मिलेगा | परन्तु आज के इस आधुनिक युग में बहुत गिनेचुने ऐसे लोग हैं जो गांधीजी की बातों पर अमल करते है और जिनके बदौलत आज भी सचाई और ईमानदारी जैसे गुण मौजूद है |
जिस देश के नागरिक कर्त्तव्यनिष्ठ, ईमानदार और त्यागी होते है वह देश उन्नति के पथ पर अग्रसर होता है | हमारा कर्त्तव्य है कि हम देश की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहें, सदा देश की उन्नति और हित के लिए कार्य करें | जिस मनुष्य को अपने देश से लगाव नहीं तथा उसके महत्त्व को नहीं समझता है, वह मनुष्य होते हुए भी पशु के सामान है|
जिनकी न निज गौरव तथा निज देश का अभिमान है |
वह नर नहीं नरपशु निरा है और मृतक सामान है |
१५ अगस्त अनंत बलिदानों की पावन स्मृति लेकर हमारे समक्ष उपस्थित होता है | यह शुभ दिवस हमें भारतीय जनता के त्याग, तपस्या और बलिदानों की अमर कहानी स्मरण कराता है | प्रत्येक भारतीय का यह कर्त्तव्य है कि हम पारस्परिक भेदभाव को छोड़कर सहयोग और एकता में विश्वास करें| अज्ञानता रूपी अंधकार से निकल कर ज्ञान के प्रकाश पूर्ण मार्ग पर आगे बढ़ें | तभी हम इस महिमामयी तिथि की मान मर्यादा की रक्षा कर सकेंगे| हमारा भारत सदा हमारी आत्मा में विशेष स्थान रखने वाला एक महान राष्ट्र था, है और रहेगा |
दिल में है सम्मान देश का
इसकी खातिर जीवन है
सदा रहेगा मान देश का
बस इसके बिना पयोवन है
अब ज्यादा समय न लेते हुए, मैं अपने शब्दों को विराम देना चाहती हूँ |
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